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जिसने असत्ता जानी शरीर और मन की,वही करेगा खोज अब स्वयं की || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2014)

2019-11-24 1 Dailymotion

वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />१४ मई २०१४,<br />अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा<br /><br />दोहा:<br />एक दिन ऐसा होयगा, कोय काहू का नाही |<br />घर की नारी को कहै, तन की नारी जाहि || (संत कबीर)<br /><br />प्रसंग:<br />मन और शारीर क्या हैं?<br />मन और शरीर के अस्थायी स्वाभाव को जानना किसलिए ज़रूरी है?<br />स्वयं की खोज में मन और शरीर किस प्रकार अडचने पैदा करते हैं?

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